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Wednesday, February 16, 2011

"नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आपका स्वागत है"....!!

चंडीगढ़ के लिए शताब्दी पकड़ने के लिए प्लेटफॉर्म पर लोगों की भीड़ से टकराते-बचते मै भागा जा रहा था कि एक औरत की चीख सुनकर ठिठका. देखा प्लेट फॉर्म पर भीड़ का एक हुजूम गोल दायरा बनाए खड़ा था और उसी में से कहीं औरत की चीख आ रही थी. मेरे चलने की तेज़ रफ़्तार से कदम मिलाने की कोशिश के बाद भी कुछ कदम पीछे रह गयी डॉक्टर संजना को मैंने उसी दायरे में घुसते देखा तो मुझे भी लौटना पड़ा.
लोगों के हुजूम में घुस कर देखा तो एक औरत प्लेटफोर्म के फर्श पर लेटी थी और दो उसके बगल में बैठी मदद के लिए चिल्ला रहीं थी. देखते ही केस समझ आ गया. फुल टर्म प्रेगनेंसी और किसी फिलमी सीन की तरह प्लेटफॉर्म पर डिलीवरी की तैयारी. जितनी देर मै केस हेंडल करने का प्लान बनाता, डॉक्टर संजना फॉर्म में आ चुकी थी. पराईमी, ब्रीच,कॉर्ड स्नेप और चार किलो और सात सौ ग्राम के बेबी को नॉर्मल डिलीवरी, और वह भी बिना एपिजियोटॉमी हेंडल करने का रिस्क लेने को उतारू रहने वाली डॉक्टर संजना ने दो और औरतों का घेरा बना कर पीवी कर ली. आम तौर पर जूते के तले पर भी कीचड़ लग जाने पर हाय-तौबा मचाने वाली डॉक्टर संजना ने बिना सर्जिकल ग्लोव्स के पीवी कर ली और पाया कि क्राउनिंग हो गयी थी. अब '3 इडीएट्स ' का क्लाईमक्स रिप्ले करने के अलावा कोई चारा बचा भी नहीं था.
लोगों से भरे ऐसे प्लेटफोर्म पर जहाँ मै ट्रेन आने के दस मिनट पहले ही पहुंचना पसंद करता हूँ ताकि बहरा कर देने वाले शोर शराबे की बीच रंग-बिरंगी हरकतें करने वाले लोगों से बच सकूँ. मै वहां ऐसी स्थिति में अवाक् खड़ा था. समझ नहीं आ रहा था कि कॉर्ड कटिंग सीज़र,कॉर्ड क्लेम्प और कॉटन के बिना आखिर ये करेगी क्या? आस पास खड़े लोग हैरानी के मारे चुप हो गए. डॉक्टर संजना ने अचानक बेबी आउट किया और पास खड़े लोगों से कैंची मांगी. किसी ने शेविंग किट में से छोटी कैंची निकाल कर दी. डॉक्टर ने एक कपडा फाड़कर कॉर्ड बाँधी और काटी. डॉक्टर संजना ने मेरी ओर देखा. हर बार रिस्की केस हेंडल करने के बाद उसके चेहरे पर आने वाली जिद्दी मुस्कान.बीस सेकंड बाद बेबी के रोने की आवाज़.
.....और तभी रेलवे प्लेटफोर्म के लाउडस्पीकर पर एक चहचहाती हुयी 'फीमेल वायस '-"नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आपका स्वागत है"....!!