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Saturday, April 24, 2010

चुप रहेगी अगर जुबान-ऐ-खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीन का...

पीएमटी एक्साम देकर सेंटर से बाहर निकलते ही डीएवी कल कोलेज के बाहर एक पेड़ के नीचे खड़े कुछ लोगों का वह खुसर-पुसर करता झुण्ड मुझे अब तक याद है..एक बड़ी सी गाड़ी के आसपास एक सांवले और मोटे से आदमी से कुछ बच्चों के मां-बाप पैसों के बारे में बात कर रहे थे. वह आदमी बदले में अपना विजिटिंग कार्ड दे रहा था. बाद में पता चला कि वह कर्नाटका के एक प्राईवेट मेडिकल कोलेज का एजेंट था. उन दिनों वह मेडिकल कोलेज में दाखिले के आठ लाख मांग रहा था. चूँकि उन दिनों यह प्राईवेट मेडिकल कोलेज खोलने का धंधा इधर उत्तर भारत के पैसे वालों और नेताओं को नहीं सूझा था. सो हमारे यहाँ चंडीगढ़ और पंजाब के अधिकतर बच्चे कर्नाटका के मेडिकल और इंजिनीयरिंग कोलेजों में ही जाते थे. वहीँ फीस कुछ कम थी. उसके कुछ दिनों बाद चंडीगढ़ के अखबारों में रशिया में मास्को से एमबीबीएस में दाखिले के विज्ञापन भी बहुत छपे. मेरे भी दो दोस्त मास्को गए.
हमारे पास न तो पैसा था और न ही मां-बाप में मुझे विदेश भेजने के लिए जोड़-जुगाड़ का मादा. पर भगवान् की मेहरबानी ही कहूँगा कि पीएमटी के पहले ही अटेम्प्ट में तुक्का लग गया और दाखिला हो गया, नहीं तो....!!
इसीलिए कल जब अखबार में मेडिकल काउन्सिल के चीफ केतन देसाई की गिरफ्तारी की खबर पढ़ी, मुझे कोई ख़ास हैरानी नहीं हुयी. हैरानी इस बात पर हुयी कि इतने साल बाद यह ड्रामा क्यों? क्या इसमें भी वही रटा-रटाया तर्क है कि किसको हिस्सा नहीं पहुंचा जो केतन देसी को पकडवा दिया? यह बात देश भर के सारे डॉक्टर, उनके मां-बाप, देश भर में चल रहे मेडिकल कोलेज और सरकार भी जानती है कि देश भर के प्राईवेट मेडिकल कोलेजों में लाखों रुपये कपिटेशन फीस ली जाती है, और सरेआम ली जाती है, तो यह कैसे हो सकता है कि प्राईवेट मेडिकल कोलेजों को परमिशन बिना कुछ लिए-दिए मिल जाती होगी? केतन देसाई ने दो हज़ार करोड़ रूपये ऐसे ही तो इकट्ठे नहीं किये? यह ज्ञान सागर मेडिकल कोलेज वाले दो करोड़ रूपये लेकर केतन देसाई के पास पीजी कोर्स चालने की परमिशन लेने ही गए थे. यह मेडिकल कोलेज चंडीगढ़ के नजदीक ही है, पटियाला जाते समय बाहर से बिल्डिंग देखने का मौका भी मिला, पता नहीं इतना पैसा कहाँ से लगा रखा है?? पूरा तो हो ही जाना है. पंजाब के लगभग सभी पोलिटिकल लोगों ने मेडिकल कोलेज, इंजिनीयरिंग और मैनेजमेंट कोलेज खोल लिए हैं. पहले कहते थे कि साउथ वाले पोलिटिशियन धंधे के लिए या तो मंदिर खोलते हैं या मेडिकल और इंजीनियरिंग कोलेज. अब हमारे इलाके के सारे सरदारों ने या तो मेडिकल, नर्सिंग और एमबीऐ के कोलिज खोल लिए हैं या फिर प्रोपर्टी डीलर के दफ्तर.,
केंद्रीय हेल्थ मिनिस्टर रहे डाक्टर अम्बु मणि रामदोस से एक बार मिलने का मौका मिला था, तो मैंने उनसे देश में डाक्टरों की कमी और करीब दो लाख ऐसे डाक्टरों के मुद्दे पर बात की थी जिन्होंने विदेश से एमबीबीएस की है, लेकिन मेडिकल काउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने उन्हें रजिस्ट्रेशन देने के लिए टेस्ट रखा हुआ है. उनका जवाब था , 'आई विल सी इट'. अबके हेल्थ मिनिस्टर गुलाम नबी आज़ाद भी येही कहते फिर रहे हैं कि देश में डाक्टरों की कमी पूरी करने के लिए पीजी सीटें बढ़ा रहे हैं. उन्हें कोई बता दे कि दिल्ली के युसूफ सराय इलाके के पीछे गौतम नगर है, जहाँ रशिया से एमबीबीएस करके आये हज़ारों युवा डाक्टर पेईंग गेस्ट रह रहे हैं. दिल्ली के प्राईवेट नर्सिंग होम में सिर्फ दस-दस हज़ार रूपये में आरएमओ लगे हैं. रात को ड्यूटी करते हैं, दिन में मेडिकल काउन्सिल के 'ऍफ़एमजीई' के टेस्ट की कोचिंग लेते हैं. साल में दो बार होने वाले इस टेस्ट में कई हज़ार डाक्टर हिस्सा लेते हैं और पास होते हैं सिर्फ आठ से नौ परसेंट.
यह बात भी मुझे किसी ख़ास ने बतायी कि प्राईवेट मेडिकल कालेजों की लोबी के चलते मेडिकल काउन्सिल ने यह टेस्ट इतना मुश्किल रखा है कि ऐमस से एमडी कर चुके किसी डाक्टर से भी पास न हो सके. येही कारण है कि यहाँ की मेडिकल कोलेज लोबी विदेशों से डिग्री लेने वालों की बजाये यहाँ दाखिला लेने को मजबूर कर रही है ताकि कैपिटेशन फीस मिले. केतन देसाई की गिरफ्तारी से यह पहलू भी साफ हो गया है.
सरकार को अब शायद यह समझ आ जाये कि इन डाक्टरों को रजिस्ट्रेशन देने में मेडिकल काउन्सिल में हो रही धांधली को रोक कर वह गावों में डाक्टरों के कमी पूरी कर सके.

2 comments:

  1. देश में मेडिकल पढ़ाई की आंखें खोल देने वाली तस्वीर...

    बधाई...

    जय हिंद...

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  2. पैसों से हम प्रतिभाएं पैदा नहीं कर सकते पर हां पैसों के अभाव में कई प्रतिभाएं कुंद पड़ जाती हैं। डॉ. शर्मा आपने अरबों रुपए के वारे-न्यारे की जो घिनौनी तस्वीर खींची है वह वाकई गंभीर है और चिंताजनक हैं। आपके इस पोस्ट ने चिकित्सा क्षेत्र की सही तस्वीर खींची है। एसे ही लिखते रहें, बधाई।

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