UA-44034069-1

Tuesday, October 13, 2015

"ओये, ए तां काल्लु ऐ.....!!"

'पापा, आपको यकीन है?'
उसके कहने का मतलब आपको विश्वास नहीं होगा की क्या हो रहा है?  मैंने पूछा क्या हो रहा है?
"हमारे घर के पीछे वाले पार्क में 'थ्री' रावण बन भी गए.…!! दशहरे वाले रावण। ....!!
रावण मतलब दशहरा, बस… !! लेकिन अचरज़ बरकरार था. वही सदियों से बच्चों में पाया जाने वाला।
मुझे याद आया कि कैसे हम बच्चों को रावण के पुतले बनते देखने का चाव हुआ करता था।  हमारे घर से थोड़ी दूर सरकारी स्कूल के पास रामलीला हुआ करती थी और वहीँ पास ही रावण के पुतले बना करते थे. हम जल्दी से होमवर्क निपटा कर भागते हुए 'रावण' बनते हुए देखने जाया करते थे।  रात को रामलीला देखने जाने के लिए भी पापा को मना लिया करते थे, वो भी इस शर्त पर कि दस बजे तक वापस आ जाएंगे. असल में उन दिनों पंजाब में आतंकवाद का दौर था और कुछ चरमपंथी इस हिन्दू विचारधारा के खिलाफ थे।  रामलीला के इर्द-गिर्द काफी सिक्योरिटी हुआ करती थी. इस लिए कभी भी रामलीला का कोई भी एपिसोड पूरा देखने का मौका नहीं मिल पाया। घर वापस आ जाया करते थे लेकिन कान उधर ही लगे रहते थे. लाऊडस्पीकर पर आती 'श्री राजा रामचन्द्र की जय मनाओ आज' वाले गीत तक जागने की कोशिश करते रहते ताकि विश्वास हो जाए कि अब रामलीला खत्म हो गयी है और सभी बच्चे घर आ गए हैं.
रामलीला से याद आई एक घटना। हरियाणा के रोहतक की. कॉलेज के दिनों का वाक्या है. एक दोस्त अनिल रोहतक के वैश्य पॉलीटेक्निक में पढता था. उस से बात हुयी की दशहरे की छुटियों में घर आने का क्या प्रोग्राम है? प्लान बना कि हम कर्नाटका एक्सप्रेस से निजामुद्दीन उतरेंगे और वहां से बस लेकर रोहतक आ जायेंगे और फिर एक-दो दिन मस्ती करके चंडीगढ़ चलेंगे.
प्लान के हिसाब से रोहतक जा पहुंचे। शाम को ढाबे पर खाना खाकर घूमते हुए अनिल के ही एक दोस्त से मिलने 'झांगी मोहल्ले' जा पहुंचे. बातें करते करते रात हो गयी. दोस्त हमें ऑटो तक छोड़ने निकला ही था कि मोहल्ले की रामलीला पर नज़र पड़ी,  रुक गये. सीन था रामजी की वानर सेना और रावण की सेना में युद्ध।
बच्चे वानर सेना में रोल करके गौरवान्वित हो रहे थे।  मुंह पर लाल रंग मलकर लाल चड्डी में पूँछ लगाकर वानर सेना का हिस्सा बने हुए थे।
तभी नज़र उस बालक पर पड़ी जो वानर सेना के मुंह रंगे बच्चों में से किसी को पहचानने का प्रयास था. और कुछ देर कोशिश करने पर कामयाब हो भी गया।  सबसे अगली पंक्ति में बैठा वो बच्चा अचानक उठा और स्टेज पर वानर सेना में शामिल एक बच्चे की ओर इशारा करके खुद से ही बोला -"ओये, एह तां काल्लु ए".
और फिर जोर से चिल्लाया-"ओये काल्लु....झाई तेरी  आवाज़ाँ मारदी पयी ऐ ते तू इथे बांदर बनया होया ऐं "
(मतलब कि तेरी माँ तुझे ढूंढती फिर रही है और तू यहाँ बन्दर बना घूम रहा है …!!"

No comments:

Post a Comment