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Saturday, March 7, 2009

प्रेम की नगरी में कुछ हमरा भी हक होईबे करी....

प्रेम करने का मतलब होता है, जेहाद करने वालों की जमात में शामिल होना। और इधर पिछले कुछ वक़्त से मैं देख रहा हूँ की जेहादियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। इसका पुख्ता सबूत मुझे मिला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से, जहाँ जेहादियों की कतार में खड़े होने वाले लड़के-लड़कियां ज़माने से ज़्यादा अपने घरवालों के डर से भाग कर अदालत की शरण में आते हैं और गुहार लगाते हैं कि उन्हें प्रेम करने के आरोप में क़त्ल कर दिए जाने से बचाया जाए।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में साल करीब पाँच हज़ार ऐसे जेहादी आते हैं और अदालतों से गुहार लगाते हैं कि उनके मां-बाप को रोका जाए उनकी जिंदगी में टोका टाकी करने से। अदालत उनके इलाके के पुलिस वालों को आर्डर करती है कि प्रेम करने वालों को कुछ न कहा जाए। अब अदालत ने एक कमेटी बना दी है ताकि घर से भागकर शादी करने वाले इन जेहादियों के लिए एक सिस्टम बनाया जा सके। कमेटी के एक मेंबर हैं राजीव गोदारा। गोदारा कहते हैं कि समस्या समाज की सोच बदलने की है। उनका कहना है की प्रेम विवाह करने को व्यक्तिगत आज़ादी के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए न कि सामाजिक नियमो के प्रति विद्रोह के रूप में। वैसे वे एक सवाल यह भी करते हैं कि शादी करने या न करने को भी कानूनी या सामाजिक जामा क्यों पहनाया जाना जरूरी है? अगर दो व्यस्क उनकी मर्ज़ी से साथ रहना चाहते हैं तो उसमे तंत्र या समाज की मंजूरी लेना जरूरी क्यों हो? ख़ुद की खुशी के लिए किसी से मंजूरी लेना संविधान की मूलभूत अवधारणा का उल्लंघन है।
खैर, मुद्दा यह है कि प्रेम करने वालों को आराम से जीने क्यों नहीं दिया जाता. प्रेम करने वालों कि जान के दुश्मन लोग क्यों हो रहे हैं, यह समझना मुश्किल हो रहा है. चलो माँ-बाप कि तो समझ आती है कि उन्हें अपने बच्चे जायदाद लगते हैं और उनपर हक समझना माँ-बाप का हक होता है. और यह भी कि माँ-बाप चाहे कितने भी आधुनिक हो, वे समझते हैं कि उनके बच्चे हमेशा प्यारे से नन्हे-मुन्ने हैं और उन्हें अभी दुनियादारी का नहीं पता.लेकिन ये बात मेरी समझ से परे हो रही है कि हरियाणा में खाप के नाम पर धर्म और समाज कि ठेकेदारी करने वालों को किसी से क्या लेना देना है? यह लगभग वैसा ही है जैसे कॉलेज में नए नए दाखिल होने वाले लड़के करते हैं. जिस लड़की पर फ़िदा हो गए, वो सबसे शरीफ लड़की होती है, बशर्ते कि वह लड़की सिर्फ और सिर्फ उसी लड़के के प्रस्ताव को हाँ करे. अगर उसे हाँ नहीं करे तो किसीको नहीं हाँ न करे. और अगर किसी और लड़के को हाँ कर दे उस से बदचलन लड़की और कोई नहीं...!!
ऐसा ही व्यवहार खाप पंचायतों के ठेकेदार कर रहे हैं कि लड़की या तो हमारी मर्ज़ी वाले लड़के से शादी करेगी नहीं तो दुनिया भर के लड़के उसके भाई बनेंगे. आप देख लीजिये हरियाणा में येही हुआ. अपनी मर्ज़ी से शादी करने यानी प्रेम विवाह करके अपना घर बसा लेने वाली लड़की को समाज के ठेकेदारों ने भाई-बहन बनने के लिए डराया- धमकाया और गाँव से निकल दिया. पूछे कोई इन बंद दिमाग वालों से कि शादी करके एक बच्चा पैदा करके कोई लड़की कैसे अपने शौहर को भाई मान लेगी? वोह मरना पसंद करेगी ऐसी जलालत से. मनोज और बबली कांड में तो ऐसा ही हुआ. दोनों को जान से हाथ धोना पड़ा. पता नहीं कब समझेंगे लोग कि एक ही जनम मिला है जीने के लिए. प्यार से जियो. उम्र इतनी है ही कहाँ कि नफरत के लिए वक़्त मिले?? रोहतक में जगमती सांगवान नाम की जुझारू महिला हैं. प्रेम विवाह करने वालों की तरफ खड़ी हैं. सुबह निकलती हैं और घूम घूमकर समाज के ठेकेदारों की बंद अक्ल को खोलने के काम में जुटी रहती हैं.. अमेरिका में बसी पत्रकार रमा श्रीनिवासन ने भी इस मामले में अपने सुझाव भेजे हैं. वे तो यह कहती हैं की हरियाणा में प्रेम विवाह करने वालों के खिलाफ दर्ज होने वाले मामलों की सुनवायी हरियाणा में होनी ही नहीं चाहिए क्योंकि पुलिस वाले भी उसी सामाजिक सोच के हैं. ऐसे सुझावों पर गौर करना जरूरी है क्योंकि युवा वर्ग को दबा कर रखना किसी चिंगारी को दबाये रखने जैसा ही होता है...अच्छा है युवा वर्ग अपनी जिम्मेदारी को अपने सर लेने की जिद कर रहा है. आईये उन्हें भी समाज में उनका हक दे दें. और वे मांग भी क्या रहे हैं? प्रेम करने का हक. क्या उनका इतना भी हक नहीं है समाज पर??

1 comment:

  1. डियर रवि, जगमती जिस प्रोग्रेसिव खाप से है, वो दुनिया भर में ही जुझारू है।

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